शनिवार, ३० मार्च, २०१३

परिचय

ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है पता ही नहीं|

इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं|

ज़िन्दगी! मौत तेरी मंज़िल है
दूसरा कोई रास्ता ही नहीं

सच घटे या बड़े तो सच न रहे
झूठ की कोई इन्तहा ही नहीं|

ज़िन्दगी! अब बता कहाँ जाएँ
ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं

जिसके कारण फ़साद होते हैं
उसका कोई अता-पता ही नहीं

धन के हाथों बिके हैं सब क़ानून
अब किसी जुर्म की सज़ा ही नहीं

कैसे अवतार कैसे पैग़म्बर
ऐसा लगता है अब ख़ुदा ही नहीं

उसका मिल जाना क्या न मिलना क्या
ख्वाब-दर-ख्वाब कुछ मज़ा ही नहीं

जड़ दो चांदी में चाहे सोने में
आईना झूठ बोलता ही नहीं|

शुक्रवार, २२ फेब्रुवारी, २०१३

रिश्ते..........

रिश्ते..........
अक्सर रिश्तों को रोते हुए देखा है, अपनों की ही बाँहो में मरते हुए देखा
हैटूटते, बिखरते, सिसकते, कसकते रिश्तों का इतिहास, दिल पे लिखा है बेहिसाब! प्यार की आँच में पक कर पक्के होते जो, वे कब कौन सी आग में झुलसते चले जाते हैं,झुलसते चले जाते हैं और राख हो जाते हैं! क्या वे नियति से नियत घड़ियाँ लिखा कर लाते हैं?कौन सी कमी कहाँ रह जाती है कि वे अस्तित्वहीन हो जाते हैं, या एक अरसे की ...पूर्ण जिन्दगी जी कर,वे अपने अन्तिम मुकाम पर पहुँच जाते हैं! मैंने देखे हैं कुछ रिश्ते धन-दौलत पे टिके होते हैं,कुछ चालबाजों से लुटे होते हैं-गहरा धोखा खाए होते हैं कुछ आँसुओं से खारे और नम हुए होते हैं,कुछ रिश्ते अभावों में पले होते हैं- पर भावों से भरे होते है! बड़े ही खरे होते हैं ! कुछ रिश्ते, रिश्तों की कब्र पर बने होते हैं,जो कभी पनपते नहीं, बहुत समय तक जीते नहीं दुर्भाग्य और दुखों के तूफान से बचते नहीं!स्वार्थ पर बनें रिश्ते बुलबुले की तरह उठते हैं कुछ देर बने रहते हैं और गायब हो जाते हैं; कुछ रिश्ते दूरियों में ओझल हो जाते हैं,जाने वाले के साथ दूर चले जाते हैं ! कुछ नजदीकियों की भेंट चढ़ जाते हैं,कुछ शक से सुन्न हो जाते हैं ! कुछ अतिविश्वास की बलि चढ़ जाते हैं! फिर भी रिश्ते बनते हैं, बिगड़ते हैं, जीते हैं, मरते हैं, लड़खड़ाते हैं, लंगड़ाते हैंतेरे मेरे उसके द्वारा घसीटे जाते हैं,कभी रस्मों की बैसाखी पे चलाए जाते हैं!पर कुछ रिश्ते ऐसे भी हैं जो जन्म से लेकर बचपन जवानी - बुढ़ापे से गुजरते हुए,बड़ी गरिमा से जीते हुए महान महिमाय हो जाते हैं ! ऐसे रिश्ते सदियों में नजर आते हैं ! जब कभी सच्चा रिश्ता नजर आया हैकृष्ण की बाँसुरी ने गीत गुनगुनाया है! आसमां में ईद का चाँद मुस्कराया है! या सूरज रात में ही निकल आया है! ईद का चाँद रोज नहीं दिखता,इन्द्रधनुष भी कभी-कभी खिलता है! इसलिए शायद - प्यारा खरा रिश्ता सदियों में दिखता है, मुश्किल से मिलता है पर, दिखता है, मिलता है, यही क्या कम है .. !!!

शनिवार, १९ जानेवारी, २०१३

Koi tumse pooche kaun hoon main

 
 
 
Koi tumse pooche kaun hoon main,
Tum keh dena koi khaas nahi.

Ek dost hai kaccha pakka sa,
Ek jhooth hai aadha saccha sa.
jazbaat ko dhake ek parda bas,
Ek bahana hai accha sa.

Jeevan ka ek aisa saathi hai,
Jo door ho ke pass nahin.
Koi tumse pooche kaun hoon main,
Tum keh dena koi khaas nahi.

Hawa ka ek suhana jhonkha hai,
Kabhi nazuk toh kabhi tufaano sa.
Sakal dekh kar jo nazrein jhuka le,
Kabhi apna toh kabhi begaano sa.

Zindgi ka ek aisa humsafar,
Jo samandar hai, par dil ko pyaas nahi.
Koi tumse pooche kaun hoon main,
Tum keh dena koi khaas nahi.

Ek saathi jo ankahi kuch baatein keh jaata hai,
Yaadon me jiska ek dhundhla chehra reh jaata hai.
Yuh toh uske na hone ka kuch gham nahi,
Par kabhi-kabhi aankho se ansu ban ke beh jaata hai.

Yuh rehta toh mere tassavur me hai,
Par in aankho ko uski talaash nahi.
Koi tumse pooche kaun hoon main,
Tum keh dena koi khaas nahin……..

बुधवार, ११ जानेवारी, २०१२

तुम ज़िदगी ना सही


तुम ज़िदगी ना सही
दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम हसी ना सही
मुसकान बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम हकीकत ना सही
खयाल बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम नज़र ना सही
याद बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम दिल ना सही
धड़कन बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम गज़ल ना सही
सायरी बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम खुशिया ना सही
गम बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम पास ना सही
एहसस बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम कल ना सही
आज बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम ज़िदगी ना सही
दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ...

मैंने देखा है


मैंने देखा है करवट बदलते हुए बादलों को..........

बारिश मै भीगते हुए आसमा को...

मैंने देखा है हवा के झोके से पेड़ों की डॉलियो को आपस मै सिमटते हुए....

मैंने देखा है पंछीयों को अपनी दिशा बदलते हुए.....

मैंने देखा है इस रिम् झिम मै भिग्ते हुए खुद के बदन को.....

मैंने देखा है बाद्लो के पीछे से झाकते हुए चांद को.......

मैंने महसूस की है तेरी खुश्बो इस बहती हुई हवा में......

मैंने एह्सास किया है तुझे हर पल इस बदलते हुए मौसम मै......

बुधवार, २१ डिसेंबर, २०११

KHUBSOORAT

Khubsoorat Hain Woh Labj Jo Pyari Batein Kartey Hain,

Khubsoorat Hai Woh Muskurahat Jo Doosron Ke Chehron Per Bhi Muskan Saja De.

Khubsoorat Hai Woh DilJo Kisi Ke Dard Ko Samjhey.
... Jo Kisi Ke Dard Mein Tadpey.

Khubsoorat Hain Woh Jazbat Jo Kisi Ka Ehsaas Karein,

Khubsoorat Hai Woh Ehsaas Jo Kisi Ke Dard Me Dawa Baney.

Khubsoorat Hain Woh Batein Jo Kisi Ka Dil Na Dukhaein.

Khubsoorat Hain Woh Ankhein Jin Mein Pakezgi Ho. Sharm O Haya Ho.

Khubsoorat Hain Woh Ansoo Jo Kisi Ke Dard Ko Mehsoos Kerke Beh Jae,

Khubsoorat Hain Woh Hath Jo Kisi Ko Mushkil Waqat Mein Tham Lein.

Khubsoorat Hain Woh Kadam Jo Kisi Ki Madad Ke Liye Aagey Badhein !!!!!

Khubsoorat Hai Woh Soch Jo Kisi Ke Liye Acha Sochey.

Khubsoorat Hai Woh Insan Jis......
Ko KHUDA Ne Ye Khubsoorati Ada Ki hai....

मंगळवार, १३ डिसेंबर, २०११

CHOT KE NISHAAN


HER CHOT KE NISHAAN SAJA JE RAKHNA
UDNA HAWA ME SULKAR LEKIN
APNE KADMO KO JAMI SE MILAKAR RAKHNA
CHAAW  ME MANA SUKUN MILTA HAI BAHOT
PHIR BHI DHOOP ME KHUD KO JALAKAR RAKHNA
UMRABHAR SAATH TO RISHTE NAHI REHTE HAI
YAADO ME HER KISI KO JINDA RAKHNA
WAQT KE SAATH CHALTE CHALTE KHO NA JANA
KHUD KO DUNIYA SE CHIPA KAR RAKHNA
RAATBHAR JAAGKAR RONA CHAHO JAB BHI
APNE CHEHRE KO DOSTO SE CHUPAKAR RAKHNA
TUFANO KO KAB TAK ROK SAKOGE TUM
KASHTI AUR MAZZI  KA PATA YAAD RAKHNA
HER KISI KI ZINDGI EK SI NAHI HOTI HAI
APNE ZAKHMO KO APNO KO BATA KAR RAKHNA
MANDIRO ME HI MILTE HAI O BHAGWAN JAROORI NAHI
HER KISI SE RISHTA BANAKAR RAKHNA
MARNA JINA BUS ME KAHA HAI APNE
HER PAL ZINDGI KA LUFT UTHATE RAKHNA
DARD KABHI AAKHRI NAHI HOTA
APNI AANKHO ME ASHKO KO BACHAKAR RAKHNA..................................